थायराइड से बचने के घरेलू उपचार और परहेज

थायरॉइड की बीमारी आपको अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण जीवन से होती है। आयुर्वेद के अनुसार, थायरॉइड संबंधित रोग वात, पित्त और कफ के कारण होते हैं। जब शरीर में वात और कफ दोष होता है, तो व्यक्ति को थायरॉइड होता है। आप इसे आयुर्वेदिक उपचारों से ठीक कर सकते हैं। इसमें वात और कफ के दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार किए जाते हैं। और अच्छी बात यह है कि आप घरेलू उपचारों का भी सहारा ले सकते हैं।

एलोपैथिक चिकित्सा में थायरॉइड विकार के लिए स्टीरॉइड्स का सेवन करना हानिकारक होता है। इसलिए, थायराइड को आयुर्वेदिक चिकित्सा से ठीक करना सर्वोत्तम माना जाता है।

थायरॉइड क्या है? 
थायरॉइड ग्रन्थि में आई गड़बड़ी के कारण थायरॉइड से संबंधित रोग जैसे थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता या थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता  होते हैं। थायरॉइड ग्रन्थि को अवटु ग्रन्थि भी कहा जाता है। यह ग्रन्थि मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रंथियों में से एक है। यह शरीर की चयापचय क्रिया में विशेष योगदान करती है।

यह ग्रन्थि Tri–iodothyronin (T3) और Thyrocalcitonin नामक हार्मोन स्रावित करती है। ये हार्मोन शरीर के चयापचय दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करते हैं। थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है।

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थायरॉइड हार्मोन का काम:

  • थायरोक्सिन हार्मोन प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
  • यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल तथा फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
  • यह हड्डियों, पेशियों तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • हृदयगति एवं रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
  • महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।

थायरॉइड रोग के प्रकार:

  1. थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता 
  2. थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता 


थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता :
इसके कारण T4 और T3 hormone का अतिरिक्त उत्पादन होता है, जिससे शरीर में अत्यधिक ऊर्जा का उपयोग होता है। इस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) कहा जाता है। ये इसके लक्षण हैं:

  • मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है, जिससे सभी कार्य तेजी से होते हैं।
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन।
  • अत्यधिक पसीना आना।
  • हाथों का काँपना।
  • बालों का पतला होना और झड़ना।
  • अनिद्रा (नींद ना आने की परेशानी)।
  • मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द।
  • दिल की धड़कन बढ़ना।
  • अत्यधिक भूख के बावजूद भी वजन कम होना।
  • महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता।
  • ओस्टियोपोरोसिस।

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थायराइड की अल्प सक्रियता :
यह स्थिति हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जानी जाती है। इसकी पहचान निम्नलिखित परेशानियों से की जा सकती है:

  • धड़कन की धीमी गति।
  • हमेशा थकान बनी रहना।
  • अवसाद (Depression)।
  • ठंड के प्रति अधिक संवेदनशीलता।
  • वजन बढ़ना क्योंकि मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है।
  • नाखूनों का पतला होना और टूटना।
  • पसीने में कमी।
  • त्वचा में सूखापन और खुजली।
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और अकड़न।
  • बालों का अधिक झड़ना।
  • कब्ज।
  • आँखों में सूजन।
  • बार-बार भूलना।
  • असमर्थता महसूस करना, सोचने-समझने में कठिनाई।
  • मासिक धर्म में अनियमितता, जैसे 28 दिन की साइकिल का 40 दिन या इससे अधिक दिन का होना।
  • चेहरे और आँखों में सूजन।
  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाना।
  • महिलाओं में बांझपन का खतरा।


थायरॉइड होने के अन्य कारण:
थायरॉइड ग्रंथि में सूजन :

यह स्थिति थायरॉइड ग्रंथि में सूजन के कारण होती है। प्रारंभ में इसमें थायरॉइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है, और बाद में इसमें कमी आ जाती है। इसका फलस्वरूप हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो जाता है। यह समस्या कई बार महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखी जाती है।

आयोडीन की कमी:
क्या आपको पता है, आहार में आयोडिन की कमी के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है, इसलिए इससे छुटकारा पाने के लिए आहार में आयोडिन युक्त नमक का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

ग्रेव्स रोग :
ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपोथायरायडिज्म  होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह एक अनुवांशिक रोग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है।

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थायरॉइड रोग का घरेलू इलाज:

  • अश्वगंधा चूर्ण: रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।
  • कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा का काढ़ा: इन हर्ब्स में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो थायरॉइड की सूजन में आराम देते हैं।
  • अलसी का चूर्ण: थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है क्योंकि अलसी में ओमेगा -3 होता है जो थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करता है।
  • नारियल का तेल: नारियल के तेल का उपयोग थायरॉइड की क्रिया शीलता को बनाए रखने में मदद करता है।

ध्यान दें: इन उपायों को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें और किसी भी दवा के सेवन के समय पर किसी भी तरह की गाइडेलाइंस का पालन करें।

थायरॉइड रोग के दौरान आपका खान-पान:

  • कम वसा वाले आहार का सेवन करें।
  • ज्यादा से ज्यादा फलों और सब्जियों को भोजन में शामिल करें, विशेषकर हरी पत्तेदार सब्जियाँ।
  • पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें, जैसे कि मिनरल्स और विटामिन।
  • आयोडीन युक्त आहार का सेवन करें।
  • डॉयफ्रुइट्स जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का अधिक मात्रा में  सेवन करें।
  • दूध और दही का अधिक सेवन करें।
  • विटामिन-ए युक्त आहार का सेवन करें, जैसे कि गाजर।
  • साबुत अनाज का सेवन करें, जिसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स होते हैं।
  • मुलेठी का सेवन करें।
  • गेहूं और ज्वार का सेवन करें।

याद रखें, थायरॉइड रोग के लिए सही खान-पान का चयन करते समय अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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योगासन थायरॉइड के उपचार में मददगार हो सकते हैं। निम्नलिखित योगासन थायरॉइड की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं:

  • प्राणायाम (Pranayama): नियमित रूप से अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति जैसे प्राणायाम करें। ये प्राणायाम थायरॉइड के कार्यक्षमता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
  • सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar): सूर्य नमस्कार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाए रखने में मदद करता है और थायरॉइड के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
  • पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana): यह आसन थायरॉइड के लिए उपयुक्त होता है और पेट के अन्दरीय अंगों को मजबूत करने में मदद करता है।
  • सर्वांगासन (Sarvangasana): यह आसन ग्रीवा क्षेत्र की संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है और थायरॉइड के लिए लाभकारी हो सकता है।
  • उष्ट्रासन (Ustrasana): इस आसन से गले की मांसपेशियों को संवेदनशील बनाए रखने में मदद मिलती है और थायरॉइड को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
  • हलासन (Halasana): इस आसन को करने से थायरॉइड के कार्यक्षमता को सुधारा जा सकता है और यह शरीर के लक्ष्य और पांव को मजबूत करने में मदद करता है।
  • मत्स्यासन (Matsyasana): यह आसन ग्रीवा क्षेत्र को संवेदनशील बनाए रखने में मदद करता है और थायरॉइड की समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकता है।
  • भुजंगासन (Bhujangasana): यह आसन थायरॉइड की क्रियाओं को संतुलित करने में मदद कर सकता है और ग्रीवा क्षेत्र को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है।

योगासन करते समय सावधानी बरतें और योग अभ्यास करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।