जीरा के औषधीय गुण

अगर आप सब्जी पसंद करते हैं, तो आप ज़रूर जीरा के बारे में सुने होंगे। सब्जी बनाते समय, सबसे पहले जीरा ही डाला जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जीरा से कई बीमारियों का इलाज भी हो सकता है?
हाँ, आयुर्वेद में जीरा को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि माना जाता है। यह बताया गया है कि जीरा का सेवन करके अनेक रोगों की रोकथाम की जा सकती है।

जीरा एक मसाला है और आयुर्वेद के अनुसार, तीन तरह के होते हैं, जो कि हैं:
1. काला जीरा 
2. सफेद जीरा 
3. अरण्य जीरा (जंगली जीरा) 

सफेद जीरा सभी के लिए परिचित है, क्योंकि इसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। दोनों ही जीरे में समानता है, लेकिन भेद करना मुश्किल होता है। श्यामले रंग का जीरा (कृष्ण जीरा) सफेद जीरे की तरह ही होता है, लेकिन थोड़ा महंगा होता है। इसका पौधा 60-90 सेमी ऊंचा होता है और सीधा होता है। इसके फूल गहरे नीले या बैंगनी रंग के होते हैं और इसके फल 4.5-6 मिमी लम्बे, बेलनाकार होते हैं। इसका रंग भूरा और काला होता है और इसमें तीखी गंध होती है।

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सर्दी और खाँसी से राहत के लिए जीरा का उपयोग:
काले जीरे को जलाएं और उसके धुएं को सूंघें। यह सर्दी-जुकाम से राहत दिलाता है।
कफ से पीड़ित हैं तो 10-20 मिली जीरे का काढ़ा पीने से लाभ होता है।

आंखों के रोग में जीरा से लाभ:
आंखों के रोगों में जीरा उपयोगी होता है। 7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में मिलाकर काढ़ा बनाएं। इस पानी से आंखों को धोने से आंखों से पानी बहना बंद हो जाता है। यदि काले जीरे की जगह सफेद जीरा हो, तो भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

खट्टी डकार आने पर जीरा का उपयोग:
खट्टी डकार आने पर जीरा बहुत मददगार होता है। खट्टी डकार के लिए, २०० मिली पानी में ५० मिली जीरा डालकर इसको उबालकर काढ़ा बना ले। जब काढ़ा आधा यानि ५० मिली जितना रह जाए, तब उसको उतारकर छान लें। इसमें काली मिर्च का पाउडर और नमक 4 - 4 ग्राम मिलाकर पिएं। इससे खट्टी डकार बंद हो जाएगी और मल त्यागने में भी बहुत आराम मिलता है।

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जूं (लीख) को खत्म करने के लिए जीरा का उपयोग:
जूं से छुटकारा पाने के लिए भी जीरा उपयोगी होता है। जूं या लिख से परेशान लोग अक्सर होते हैं। खासकर महिलाएं जूं से परेशान रहती हैं। जूं से निजात पाने के लिए, जीरे के बीज का चूर्ण लें। इसे निम्बू के रस के साथ मिलाकर सिर पर लगाएं। इससे जूं मर जाती है।

खुजली में जीरा का इस्तेमाल:
खुजली से राहत पाने के लिए, 40 ग्राम जीरा और 20 ग्राम सिन्दूर लें। इसे 320 मिली कड़वे तेल में पकाकर लगाएं। यह खुजली में लाभकारी होता है।

मुंह के रोग में जीरा का सेवन:
मुंह के रोगों में जीरा का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। मुंह की बीमारी में, 5 ग्राम जीरे को पीसकर पानी में मिलाएं। इस पानी में चंदन का चूर्ण, 2½ ग्राम इलायची, और 2½ ग्राम फूली हुई फिटकरी का चूर्ण मिला लें। और इसे छानकर कुल्ला करने से मुंह में होने वाले सारे रोगों में लाभ होता है।

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दांतों के रोग में जीरा का उपयोग:
दांतों के रोगों के इलाज में जीरा उपयुक्त होता है। दांतों के दर्द से राहत पाने के लिए, काले जीरे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे दांतों के दर्द में आराम मिलता है।

हिचकी में जीरा का सेवन:
हिचकी की समस्या में, 5 ग्राम जीरा को घी में मिलाएं और उसे चिलम में डालकर धूम्रपान करें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।

भूख बढ़ाने में जीरा का इस्तेमाल:
भूख बढ़ाने के लिए जीरा बहुत ही उपयुक्त होता है। कई बार बीमारी या अन्य कारणों से भूख कम हो जाती है। ऐसे में, 3 ग्राम जीरे को 3 मिली नींबू के रस में भिगोकर लें। इसमें 3 ग्राम नमक मिलाकर सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।

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मुँह से बदबू के लिए जीरा का उपयोग:
रोजाना दो बार, सुबह और रात को जीरा का पाउडर सेंधा नमक के साथ मिलाकर सेवन करें। यह मुँह से आने वाली बदबू को दूर करता है।

बुखार उतारने में जीरा का इस्तेमाल:
बुखार में भी जीरे का काढ़ा गरारा करने से भूख की कमी नहीं होती है। 5 ग्राम जीरे के चूर्ण को 20 मिली कचनार की छाल के रस में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से बुखार उतरता है।

अपच को ठीक करने के लिए जीरा का इस्तेमाल:
अपच को ठीक करने के लिए जीरा बहुत ही फायदेमंद होता है। जीरे और धनिये के पेस्ट से पकाए हुए घी को सुबह-शाम भोजन से आधा घंटा पहले सेवन करें। इससे अपचन और वात-पित्त दोष में बहुत लाभ मिलता है।

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स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए जीरा का सेवन:

  • स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए, जीरे को घी में भूनकर आटे में मिलाएं और लड्डू बनाएं। इसे खाने से दूध की मात्रा बढ़ती है। यदि माताओं को स्तनों में दूध की कमी है, तो दाल में जीरा अधिक मात्रा में डालकर खाएं या घी में भूना हुआ जीरा सेवन करें।
  • इसके अलावा, सौंफ, सौवर्चल, और जीरे को छाछ के साथ नियमित रूप से सेवन करने से भी स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। शतावरी, चावल, और जीरे का चूर्ण गाय के दूध में मिलाकर भी स्तनों की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।
  • गर्भावस्था की शुरुआती अवस्था में, महिलाओं को 10-20 मिली जीरे के काढ़े को मधु और दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भवती महिलाओं और उनके शिशु का स्वास्थ्य बना रहता है।

मतली और उल्टी के लिए जीरा का उपयोग:
जीरे का पाउडर रेशमी कपड़े में बंधकर सुंघाएं। इससे मतली और उल्टी में आराम मिलता है।
सौंफ, जीरा, शक्कर और काली मिर्च को बराबर मात्रा में मिलाएं (2 ग्राम)। 4 ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करें। यह मतली और उल्टी को रोकता है।

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आग से जलने पर जीरा का इस्तेमाल:
अगर किसी व्यक्ति को कोई अंग आग से जल गया है, तो जीरे के पेस्ट को मदनफल और राल मिलाकर घी में पकाएं। इससे आग से जलने वाले स्थान पर आराम मिलता है।

कुत्ते के काटने पर जीरा के फायदा:
कुत्ते के काटने पर भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। 4 ग्राम जीरा और 4 ग्राम काली मिर्च को पीसकर, इसे सुबह और शाम पिलाने से कुत्ते के विष में लाभ मिलता है।

बिच्छू के काटने पर जीरा का इस्तेमाल:
बिच्छू के काटने पर भी जीरा उपयोगी होता है। बिच्छू के डंक वाले स्थान पर घी, और शहद में मिलाएं, थोड़ा गर्म करके लगाएं। या जीरा में घी और सेंधा नमक मिलाकर बनाएं, और बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लगाएं। ये उपाय दर्द में आराम पहुंचाते हैं।

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जीरा का इस्तेमाल करने के तरीके अलग-अलग होते हैं, जो आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चुन सकते हैं। यहां कुछ आम तरीके दिए जा रहे हैं:

     1. जीरा का चूर्ण:
         रोजाना 3-6 ग्राम जीरा का चूर्ण पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। यह आपकी पाचन क्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है।

     2. जीरा का काढ़ा:
         20-40 मिली जीरा का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर के विषाणुओं का संतुलन बना रहता है।

आप जीरा को स्वादानुसार खाने में भी उपयोग कर सकते हैं, उसे तड़के के रूप में या सब्जियों में डालकर। इसके अलावा, आप जीरा के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं, जो मसालों में, या मसाला बनाने के लिए उपयोगी होता है।

यदि आप जीरा का उपयोग औषधि के रूप में कर रहे हैं, तो पहले एक चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें। वे आपको सही मात्रा और उपयोग के लिए उपयुक्त दिशा निर्देश प्रदान करेंगे।