बच्चे को डायपर रैश से बचाने के लिए घरेलू उपाय

नवजात बच्चे की त्वचा (स्किन) बहुत ही नाजुक, कोमल और मुलायम होती है अगर हमसे थोड़ी सी भी लापरवाही हो जाये तो शिशु के लिए प्रॉब्लम कर सकती है। कई बार मां घर के कामों में व्यस्त रहती हैंऔर ये बच्चे पर पूरा ध्यान नहीं दे पति है या फिर वे बच्चों के डायपर बदलना भूल जाती हैं या फिर देर से डायपर बदलती है। और इसकी वजह से बच्चे की त्वचा पर गीलापन बढ़ जाता है जिसे बच्चे बीमार पड जाते है। जैसे की सर्दी जुकाम और इसके अलावा कभी कभी लाल चकत्ते और छोटे दाने उत्पन्न कर सकता है। इस समस्या को डायपर रैश कहा जाता है।

ज्यादातर 3 से 12 महीने के बच्चों में यह समस्या सबसे ज्यादा होती है। इसमें बच्चे के जननांग, गुदा, जांघों के ऊपरी हिस्से और पेट के निचले हिस्से पर लाल निशान हो जाते हैं। ये कोई गंभीर समस्या नहीं है, अगर इसको अच्छे से देखभाल करते है तो कुछ ही दिनों में यह समस्या ठीक हो जाती है।

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डायपर रैश के लक्षण हैं:

  • जननांग के आस-पास लाल चकत्ते, छोटे दाने और उस स्थान पर खुजली या जलन महसूस होना।
  • छोटे बच्चे (लड़के) में कभी-कभार लिंग के ऊपरी हिस्से पर लाल चकत्ते दिखाई देना।
  • पेशाब करते समय बच्चे को जलन महसूस होना।
  • डायपर रगड़ने वाले हिस्से पर रैशेज ज्यादा होते हैं।

डायपर रैश के कारण:
इस समस्या का मुख्य कारण त्वचा में गीलापन और डायपर की रगड़ने का होता है। अक्सर डायपर में मल मूत्र जमा रहने से त्वचा संक्रमण हो सकता है। लम्बे समय तक डायपर रैश को अनदेखा करने से त्वचा संबंधी और साथ ही और भी समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों को अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन कराने से भी रैशेज हो सकती है। ये दवाएं यीस्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा सकती है क्योंकि वे संक्रमण रोकने वाले बैक्टीरिया को मार सकती हैं।

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डायपर रैश से बचाव:

  • कंपनी या उच्च गुणवत्ता के डायपर का इस्तेमाल करें और नियमित समय पर उन्हें बदलते रहें जिसे बच्चे को कई प्रॉब्लम न हो ।
  • मलत्याग के बाद तुरंत डायपर बदलें।
  • अत्यधिक टाइट डायपर नहीं पहनाएं, उन्हें इतना ढीला पहनें कि वायु स्वतः ही चले।
  • डायपर पहनने से पहले वेट-वाइप्स का उपयोग न करें, बल्कि मलत्याग के बाद साफ पानी से त्वचा को साफ करें और सूखे सूती कपड़े से पोंछें। त्वचा को अच्छी तरह से सुखने दें और फिर डायपर पहनाएं।
  • अपने हाथों को डायपर बदलने से पहले और उसके बाद अच्छी तरह से हैंडवॉश या साबुन से धोएं।
  • बच्चों की सफाई के लिए आम साबुन का उपयोग न करें, बल्कि विशेष बेबी सोप का इस्तेमाल करें।
  • डायपर की बजाय सूती कपड़े की नैपी पहनाएं।

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डायपर रैश से बचाव के घरेलू उपाय:

पेट्रोलियम जेली: डायपर रैश को ठीक करने के लिए पेट्रोलियम जेली का उपयोग करें। शिशु को नहलाने के बाद डायपर वाले क्षेत्र को साफ करें और फिर सूखे कपड़े से पोंछ लें। उसके बाद, डायपर वाले क्षेत्र पर पेट्रोलियम जेली लगाएं। यह जलन को कम करता है और रैशेज को जल्दी ठीक करता है।

एलोवेरा: डायपर वाले क्षेत्र को साफ करने और सुखाने के बाद उसमें एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को तुरंत आराम देता है और एंटीफंगल गुणों के कारण संक्रमण को रोकता है।

कॉर्नस्टार्च: कॉर्नस्टार्च या मक्के का आटा नमी को सोख लेता है और डायपर रैश से आराम दिलाता है। गीले डायपर बदलते समय, डायपर वाले क्षेत्र को साफ करने के बाद कॉर्नस्टार्च लगाएं। इसे सूखने के लिए खुला छोड़ दें और फिर अगला डायपर पहनाएं।

नारियल तेल: नारियल तेल में गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकते हैं। रोजाना नारियल तेल से बच्चे की मालिश करने से चकत्तों और दानों की समस्या नहीं होती है। डायपर रैश होने पर, नारियल तेल को धीरे-धीरे लगाएं और कुछ समय के लिए खुली हवा में सूखने के लिए छोड़ दें।

ओटमील: जलन और खुजली से आराम दिलाने के लिए ओटमील का इस्तेमाल करें। तीन चौथाई कप ओटमील को मिक्सर में पीसकर आटा बना लें। फिर, उस आटे को बच्चे के नहाने के पानी में मिलाएं और डायपर रैश से प्रभावित क्षेत्र को 10 मिनट के लिए डुबोकर रखें। इसके बाद सूती कपड़े से पोंछ लें।

इन उपायों का सुरक्षित तरीके से उपयोग करें और यदि कोई दिक्कत आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।