चाय के अनसुने फायदे
शताब्दियों से चाय हम सभी का पसंदीदा पेय रही है। आमतौर पर दिन की शुरुआत चाय के बिना अधूरी होती है। चाय के लाभों के कारण आयुर्वेद में इसे औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है, लेकिन चाय के एक और पहलू भी है, ज्यादा चाय पीने से हानि भी हो सकती है। लेकिन इसे अत्यधिक पीने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। चाय पीने से पहले क्या आपने कभी सोचा है कि यह आपके लिए फायदेमंद है या हानिकारक। चलिए, इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं कि चाय कैसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और हानिकारक।
चाय पौधा प्राकृतिक रूप में 9-15 मी ऊँचा, अल्प-रोमिल, सदाहरित क्षुप होता है। इसकी खेती की सरलता और उत्तम उत्पादन के कारण क्षुपों को समय-समय पर ऊपर से काटा जाता है, जिससे यह पौधा लगभग 60-150 सेमी तक का होता है। इसके आगे के भाग के दो पत्ते और एक कलिका का उपयोग चाय की पत्तियों के रूप में किया जाता है।
चाय के पत्ते सरल, एकांतर 5-15 सेमी लंबे और 3.87-6.2 सेमी व्यास या डाइमीटर के, नोंकदार, ऊपर से चिकने, निचले भाग में कुछ रोमश और अत्यंत सूक्ष्म छिद्रों (इन छिद्रों में विशेष गंधयुक्त एक प्रकार का तेलीय द्रव होता है) से युक्त होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, सुगंधित, एकल या 2-4 साथ में, और फूल 3.2 सेमी व्यास के होते हैं, बाह्य दल में 5-6 गोलाकार होते हैं। इसके फल त्रिकोणीय होते हैं, जिनमें 1.8 सेमी व्यास के, लगभग गोल, चिकने, भूरे रंग के, कठोर बीज कवच जैसे, चमकदार दो बीज होते हैं। चाय दिसम्बर से मार्च महीने के दौरान सबसे अधिक फलता है।
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चाय वास्तव में एक पेय पदार्थ है जिसमें टैनिन और कैफीन होता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है। इसलिए अक्सर थक जाने पर चाय पीने से फिर से ऊर्जा मिलती है। हालांकि, अत्यधिक चाय पीने से व्यसन या लत बन जाने पर शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
चाय मूलत: कड़वी, गर्म तासीर की और ऊर्जावान होती है। यह कफपित्त नाशक होने के साथ-साथ थोड़ा वात के प्रकोप को बढ़ा सकती है। आपको शायद पता नहीं हो कि चाय आपको उत्तेजित भी कर सकती है, लेकिन अधिक मूत्र संबंधित समस्याओं को बढ़ा सकती है।
चाय की पत्ती भूख बढ़ाने वाली, पाचन को सुधारने वाली और ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है। चाय हृदय दर्द, आंखों का दर्द, रक्तार्श या पाइल्स के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती है।
चाय के फायदे सिर्फ ऊर्जा प्रदान करने के लिए ही नहीं होते। इसके औषधिक गुण अनगिनत हैं, जिसके कारण आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों के इलाज के रूप में उपयोग किया जाता है। चलिए विस्तार से जानते हैं कि चाय को किन-किन बीमारियों में और कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
पेट दर्द के लिए चाय के फायदे: चाय के काढ़े में पुदीना और अकरकरा मिलाकर पकाएं, फिर 15-20 मिली मात्रा में पीने से पेट में गैस के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
सूजन में चाय के फायदे: अगर चोट लगने के कारण सूजन हो गई है, तो चाय को पीसकर गरम करके सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
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मुँहासों से राहत पाने में चाय का लाभ: मुँहासों की समस्या को दूर करने में भी चाय का प्रयोग फायदेमंद होता है, क्योंकि चाय में शोथ को कम करने के गुण होते हैं जिससे यह मुँहासों की समस्या को कम करने में मदद करती है।
गले में दर्द या सूजन से दिलाए राहत चाय: आमाशय के कारण और गर्म खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से गले में घाव हो जाता है, जिसके कारण दर्द होता है। चाय के काढ़े से दिन में 2-3 बार गरारा करने से गले में उस घाव या सूजन से राहत मिलती है।
मूत्र संबंधी बीमारियों में चाय के फायदे: मूत्र संबंधी बीमारियों में मूत्र में जलन, दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना या कम मात्रा में पेशाब आना जैसी कई समस्याएं होती हैं। चाय के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा मांसपेशियों का ढीलापन और मूत्र संबंधी रोगों में लाभकारी होता है।
बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में चाय का लाभ: बालों को चमकदार बनाने और मजबूत बनाए रखने के लिए चाय या टी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि रिसर्च के अनुसार चाय एक हेयर टॉनिक की तरह कार्य करता है।
दिमाग को स्वस्थ रखने में चाय का लाभ: चाय का सेवन दिमाग के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं जो कि दिमाग के लिए फायदेमंद होते हैं।
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हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद चाय: ह्रदय को स्वस्थ रखने में चाय आपकी मदद कर सकती है, क्योंकि चाय में पाये जाने वाले विशेष तत्व हृदय से संबंधी समस्याओं को आने से रोकने में मदद करते हैं।
जलने के दर्द को कम करने के लिए चाय के फायदे: आग, गर्म जल, गरम तेल आदि से यदि शरीर का कोई भी भाग जल जाए, तो चाय मिलीत का उबलते हुए पानी या काढ़ा को ठंडा करके उसमें कपड़े की पट्टी भिगोकर उस स्थान पर रखने और बार-बार उस पर थोड़ा-थोड़ा काढ़ा डालने से त्वचा में फफोले नहीं पड़ते और त्वचा में दाग नहीं होते।
चाय से काम शक्ति में वृद्धि: अगर किसी बीमारी के कारण सेक्स करने की इच्छा कम हो गई है, तो चाय का इस तरह से सेवन करने से लाभ मिल सकता है। चाय को सालमिश्री, दालचीनी और दूध के साथ मिलाकर, पकाकर 15-20 मिली मात्रा में पीने से कामशक्ति बढ़ सकती है। चाय के कामशक्ति में बढ़ाने के फायदे अनगिनत हैं।
कांजक्टिवाइटिस के लिए चाय के फायदे: ठंड के मौसम के जाने और गर्मी के मौसम के आने के समय लोगों को कांजक्टिवाइटिस या आँख आने की बीमारी होती है। आँख लाल होती है और दर्द होता है। आँख आने पर चाय का इस्तेमाल इस तरह से करने पर बहुत फायदा मिलता है। चाय का काढ़ा बनाकर उसके 1-2 बूंदों को नेत्रों में डालने से 2-3 दिन में आँख आने पर होने वाली परेशानी में राहत मिलती है।
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चाय का उपयोगी भाग:
आयुर्वेद में चाय की पत्ती का औषधि के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
चाय का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
बीमारी के लिए चाय के सेवन और उपयोग का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी विशेष बीमारी के इलाज के लिए चाय का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चाय के पत्तों को पीने से फायदा:
चाय की पतियों का सेवन करने से लाभ होता है। चिकित्सक के अनुसार 10-15 मिलीग्राम चाय के काढ़े का सेवन किया जा सकता है।
ज्यादा चाय पीने के साइड इफेक्ट:
स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को अधिक चाय का सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में चाय का प्रयोग करने से शिशु ज्यादा सोते हैं। इसके अत्यधिक सेवन से दिल में जलन या एसिडिटी, अनिद्रा और अरुचि जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।