चंदन के फायदे और नुकसान
Monday, 26 Feb 2024 00:00 am

Health7

आपने कभी चंदन के पेड़ को देखा है? अगर नहीं तो आपने कभी न कभी सुना ही होगा कि यह एक बहुत ही सुगंधित पेड़ होता है। बहुत से लोग अपने घरों को सजाने के लिए चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। इन लकड़ियों से पूजा-पाठ के सामान जैसे अगरबत्ती, हवन सामग्री भी बनाई जाती है। चंदन की लकड़ी महंगी होती है, इसलिए इसकी तस्करी भी होती है।

लोगों के पास चंदन के पेड़ के बारे में केवल यही जानकारी होती है, कि यह एक सुगंधित पेड़ है। लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता है कि चंदन एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी भी है, और इसका चिकित्सा में भी उपयोग होता है। आइए जानते हैं कि चंदन के उपयोग से आप किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं।

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चंदन क्या है?

चंदन एक जड़ी-बूटी है जो सुगंधित और शीतल होती है। यह लोगों को आनंद प्रदान करती है, इसलिए इसे चंदन कहा जाता है। इसके वृक्ष हरे रंग के होते हैं और 6 से 9 मीटर ऊँचे होते हैं। इसकी शाखाएं झुकी होती हैं और इसका तन लाल, भूरा, या भूरे-काले रंग का होता है। चंदन के पत्ते अण्डाकार और मुलायम होते हैं, और पत्ते के आगे का हिस्सा नुकीला होता है। चंदन के फूल भूरे-बैंगनी या जामुनी रंग के होते हैं और गंधहीन होते हैं। इसके फल गोलाकार और मांसल होते हैं, जो पकने पर शयामले या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इसके बीज कठोर और अण्डाकार होते हैं।

चंदन के वृक्ष लगभग 20 वर्षों के बाद ही बड़े होते हैं। पेड़ के भीतर का हिस्सा हल्का पीला और सुगंधित होता है। पुराने वृक्षों की छाल दरार युक्त होती है। चंदन का वृक्ष 40-60 वर्ष की आयु के बाद उत्तम सुगंध वाला हो जाता है। चंदन के वृक्ष में फूल जून से सितंबर के बीच होते हैं और फल नवंबर से फरवरी तक होते हैं। इस अवस्था में चंदन पूरी तरह से उपयोग के लायक हो जाता है। चंदन के पेड़ की कुछ विशेषताएँ हैं।

उड़ीसा में होने वाला चंदन सर्वोत्तम होता है। भारत-यूनान क्षेत्र में होने वाला चंदन गुणवत्ता में थोड़ासा कम होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि स्थानों में होने वाला चंदन सबसे कम गुणवत्ता वाला होता है। गंध के हिसाब से उड़ीसा का चंदन सर्वोत्तम है। आयुर्वेद के अनुसार, चंदन के पेड़ केवल एक तरह के नहीं होते हैं, वे विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं।

सबसे अच्छे चन्दन के लक्षण: इस चंदन का रंग सफेद होता है, लेकिन टुकड़ों को काटने पर यह लाल हो जाता है।
घिसने पर इससे पीले रंग की सुगंध निकलती है, जो थोड़ी तीखी होती है।

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वेट्ट चंदन: यह चंदन बहुत ठंडा होता है।

इसका उपयोग जलन, बुखार, उल्टी, कफ आदि बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है।

पीतचंदन: यह चंदन भी सुगंध में थोड़ा तीखा और ठंडा होता है।
इसका उपयोग कुष्ठ रोग, कफ, बुखार, जलन, दाद, वात-विकार, विष, रक्तपित्त आदि में किया जा सकता है।

चंदन के फायदे और उपयोग:
चंदन का उपयोग कैसे किया जाता है, उसकी मात्रा और विधियों को जानने के बाद, यह उसके औषधीय लाभों को अनुभव कर सकते हैं। यहां कुछ तरीके हैं जिनमें चंदन का उपयोग किया जा सकता है:

अत्यधिक छींक की समस्या में चंदन का प्रयोग:
महिलाओं या पुरुषों को कभी-कभी छींक की समस्या हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए, चंदन और धनिया की पत्तियों को पीसकर सूंघा जा सकता है, जिससे छींक आना बंद हो जाता है।

आंखों की बीमारी में चंदन का उपयोग:
आंखों के रोग में सफेद चंदन के 10 ग्राम पेस्ट को 100 मिली दूध में मिलाकर उसे ठंडा करें। इसे आंखों पर लगाने से आंखों की बीमारी में लाभ होता है।

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यौन रोग में चंदन का उपयोग:

मंजिष्ठा और चंदन के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाएं। 2-4 ग्राम इस चूर्ण का नियमित सेवन करने से यौन रोगों में लाभ होता है।

चंदन के इस्तेमाल से शुक्राणु रोग में फायदा:
अर्जुन की छाल और चंदन को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं। 20-40 मिली की मात्रा में इस काढ़े का सेवन करने से शुक्राणु संबंधी रोगों में लाभ होता है।

चर्म रोग में चंदन का उपयोग:
त्वचा के विभिन्न विकारों में चंदन का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा के विकारों में सुधार हो सकता है। चकत्ते होने पर चंदन के चूर्ण को गुडूची के रस में मिलाकर इसे लेप के रूप में लगाएं। इसका सेवन करने से लाभ हो सकता है।

अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में चंदन का लाभ:
कुछ लोगों को हमेशा प्यास लगी रहती है, जो एक समस्या हो सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए, 20-40 मिली नारियल जल में 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण को मिला लें। इसे पीने से प्यास कम हो जाती है।

पसीने की बदबू में चंदन के लाभ:
बहुत सारे लोगों के पसीने से बदबू आती है। अगर आप इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो चंदन के चूर्ण को गुलाब जल के साथ पीसकर लगाएं। इससे लाभ होता है।

चंदन के उपयोग से सिर दर्द से आराम:
सिर दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। जो भी व्यक्ति सिर दर्द से परेशान है और आयुर्वेदिक तरीके से सिर दर्द से राहत पाना चाहता है, उसे चंदन को घिसकर मस्तक पर लगाना चाहिए। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है।

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पेट की गड़बड़ी में चंदन का फायदा

पित्त के कारण होने वाली पेट की गड़बड़ी में चंदन का फायदा मिल सकता है। इसमें चन्दनादि घी (5-10 ग्राम) का सेवन करने से आराम मिलता है।
नाभि में दर्द होने पर 20-40 मिली नारियल जल में, 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण को नाभि पर रखने से आराम मिलता है।

ल्यूकोरिया चंदन का इस्तेमाल

ल्यूकोरिया महिलाओं में होने वाली बीमारी है जिसमें महिलाओं के शरीर में इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए चंदन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

सफेद या लाल चंदन का काढ़ा बनाएं:
चंदन का काढ़ा बनाने के लिए, चंदन की लकड़ी को पानी में उबालें।
इसे ठंडा होने पर 20-30 मिली मात्रा में पीने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

चंदन के चूर्ण का सेवन करें:
2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण को दूध और घी में पकाएं।
इसे ठंडा करके मधु और चीनी मिलाकर पीने से भी ल्यूकोरिया में तुरंत फायदा होता है।

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मूत्र रोग में चंदन का उपयोग: 
मूत्र रोग के लिए चंदन का पानी:
10-20 मिली चावल के धुले हुए पानी में 2-4 ग्राम बारीक चंदन के चूर्ण को मिला लें।
इसे पीने के बाद उबालकर ठंडा करें।
इसे अन्न के साथ सेवन करें। इससे मूत्र रोग, जैसे पेशाब का रुक-रुक आना, में लाभ होता है।

पेशाब में जलन के लिए चंदन:
50 से 100 मिली गाय के दूध में 2 से 4 ग्राम चंदन के चूर्ण को मिला लें।
इसे पिने से पेशाब में जलन से राहत मिलती है।

गुदा विकार में भी चंदन का उपयोग
मल त्याग करते समय जलन होने पर, 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण में मधु और मिश्री मिला लें।
इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ पिएं। इससे गुदा के विकार में लाभ होता है।

बुखार को ठीक करने के लिए चंदन का उपयोग:

चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर इसके तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाने से बुखार में राहत मिल सकती है।

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एसिडिटी की समस्या में भी चंदन का उपयोग: 

अगर खाने के बाद सिर या हृदय में दर्द हो या आंखों में परेशानी हो, तो शिरीष, हल्दी और चंदन के लेप को हृदय में लगाने से लाभ हो सकता है।

शरीर की जलन को दूर करने के लिए भी चंदन का उपयोग:

जलन या शरीर की जलन को दूर करने के लिए भी चंदन का उपयोग किया जा सकता है। शरीर में जलन होने पर चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर इसके तने की छाल को पीस कर शरीर पर लगाने से जलन में आराम मिलता है।

उल्टी रोकने के लिए भी चंदन का इस्तेमाल 

सफेद चंदन को घिसकर आंवले के रस में मिलाकर पीने से उल्टी में राहत मिल सकती है। इसके अलावा, चंदन के पाउडर को आंवले के रस में मिलाकर भी उल्टी को रोका जा सकता है।

चंदन के उपयोगी भागों के बारे में यहाँ विस्तार से बताया गया है:

  1. आर्द्रावस्था में कटा हुआ चंदन (किसी भी रूप में उपयोग के लिए तैयार किया हुआ चंदन) - पित्त रोग को ठीक करने में मदद करता है।
  2. सूखे अवस्था में कटा चंदन - वात रोग को ठीक करने में सहायक होता है।
  3. मध्यमावस्था में कटा चंदन - कफ को ठीक करने में मददगार होता है।
  4. चंदन के तेल का प्रयोग - कफ, जलन, त्वचा, पीलिया, सांस रोग, बुखार, कमजोरी, आदि में उपयोग किया जाता है।

चंदन के उपयोग में यह सभी भाग अलग-अलग प्रकार की रोगों और स्थितियों में उपयोगी होते हैं। इन्हें सही मात्रा और तरीके से उपयोग करके व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

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चंदन का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित मात्रा का ध्यान रखें।

यह सुझाव केवल जानकारी के उद्देश्य से हैं। आपके इलाज के लिए हमेशा एक चिकित्सक से परामर्श करें।

चंदन का अत्यधिक उपयोग अर्थात बार-बार और अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से कुछ लोगों को निम्नलिखित दुष्प्रभाव महसूस हो सकते हैं:

  1. त्वचा रिएक्शन: कुछ लोगों को चंदन के प्रति एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर खुजली, लालिमा, या चकत्ते हो सकते हैं।
  2. पेट संबंधी समस्याएँ: चंदन का अत्यधिक सेवन करने से पेट संबंधी समस्याएँ जैसे कि उल्टी, एसिडिटी, या अपच की समस्या हो सकती है।
  3. त्वचा विकार: अधिक मात्रा में चंदन का इस्तेमाल करने से त्वचा पर समस्याएँ जैसे कि सूखापन, खुजली, या लालिमा हो सकती है।
  4. अवसाद: कुछ लोगों को चंदन के सेवन के बाद अवसाद की समस्या हो सकती है।
  5. यूरीमिया: अत्यधिक चंदन का सेवन करने से यूरीमिया, जो विषाक्तता की एक स्थिति है, हो सकती है।

ध्यान देने योग्य है कि ये दुष्प्रभाव अत्यधिक मात्रा में चंदन का उपयोग करने पर होते हैं। सामान्यतः, यदि चंदन को उचित मात्रा में और सावधानी से उपयोग किया जाए, तो इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।