क्या आपको पता है क्यों युवाओं में बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, ये हैं कारण
Friday, 15 Mar 2024 00:00 am

Health7

वर्तमान में हार्ट अटैक से जुड़ी घटनाओं को देखकर सभी यही पूछ रहे हैं। कुछ समय पहले तक, हार्ट अटैक को बड़े उम्र के लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब 30-40 के लोग भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों में कई प्रमुख व्यक्तियों जैसे कि विनर सिद्धार्थ शुक्ला, केके और राजू श्रीवास्तव की मौत से लोगों को चौंकाया है।

अब लोगों को समझना मुश्किल हो रहा है कि वे जितना ध्यान अपने स्वास्थ्य और फिटनेस पर रखते हैं, उन्हें भी हार्ट अटैक हो सकता है। लोग सामान्यतः सोचते हैं कि नियमित व्यायाम और सही आहार से दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है, लेकिन हाल की घटनाएँ लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं। अब लोग हार्ट अटैक के लक्षणों और उपायों के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

वर्तमान में युवा वर्ग में दिल के दौरों के मामले बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 40-69 वर्षीय आयु वर्ग में होने वाली मौतों का 45% मामले दिल की बीमारियों से होते हैं।

अध्ययनों में प्रकट हुआ है कि भारतीय लोगों को दिल की बीमारियाँ कम से कम एक दशक पहले हो जाती हैं जब उन्हें यूरोपीय लोगों की तुलना में ज्यादा नुकसान होता है। दिल की बीमारियों से भारत में कामकाजी वर्षों का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, जिसके कारण लाखों साल की गणना में बढ़ोतरी हो रही है।

 

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भारत की युवा पीढ़ी क्यों हार्ट अटैक के शिकार हो रही है?

पहली वजह है कि भारतीयों में हृदय रोग की आनुवांशिकता अधिक होती है। दूसरी वजह है कि युवाओं की लाइफस्टाइल में बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाती हैं।

लेकिन जो लोग दिखने में फिट और युवा हैं, उन्हें भी हार्ट अटैक क्यों हो रहा है?

तेजी से बदलती लाइफस्टाइल, रिश्तों में संजीवनी और गलत खानपान भी इसमें जिम्मेदार हैं। ज्यादा स्ट्रेस, अनियमित रूटीन, कम नींद और अत्यधिक शराब और सिगरेट पीने जैसी आदतें भी आपके दिल को बीमार कर सकती हैं।

क्या स्ट्रेस ही हार्ट अटैक की मुख्य वजह है?

पिछले कुछ सालों में काम करने के तरीके बहुत बदल गए हैं। अधिकांश युवा ऐसी नौकरियों में हैं जहाँ कम्पटीशन बहुत ज्यादा होता है। हर महीने मिलने वाले टारगेट, लंबे काम के घंटे, और नए चुनौतियों का सामना करना, ये सभी उन्हें हमेशा गुस्सा और तनाव में रहने के कारण होता है।

इसके अलावा, कोविड-19 महामारी ने भी लोगों की जिंदगी में कई मुश्किलें बढ़ा दी। लोगों ने अपने करीबी खो दिया, कुछ की नौकरी चली गई, और कुछ खुद को बीमार पाया। इन सभी कारणों से, लोगों का स्ट्रेस स्तर बढ़ गया है।

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इसके अलावा, सोशल मीडिया भी बड़ी चिंता का कारण बन गया है। सोशल मीडिया पर दूसरों की खुशियों और सफलताओं की तस्वीरें देखकर लोग अपने आप को नकारात्मक महसूस करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपनी जिंदगी को उसी तरह से जी नहीं पा रहे हैं जैसे उनके सोशल मीडिया पर दोस्त जी रहे हैं। इससे उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है।

जब आप बहुत तनाव में होते हैं, तो आपके शरीर में 'कोर्टिसोल' नामक स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है। यह हार्मोन दिल में जाने वाले खून के प्रवाह को कम करता है, जिससे दिल को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। लंबे समय तक तनाव से कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, और ब्लड प्रेशर की समस्याओं को बढ़ा सकता है। इन समस्याओं की वजह से धमनियों में प्लाक जमा होने लगता है, जो कि हार्ट अटैक का एक कारण हो सकता है।

इसलिए सबसे जरूरी है कि आप अपने स्ट्रेस लेवल को कम करें। इसके लिए कई तरीके मौजूद हैं, जैसे कि काउंसलिंग, योग, ध्यान, और अन्य शारीरिक गतिविधियाँ। साथ ही, आपको अपने डेली रूटीन में मल्टीटास्किंग की आदत को कम करना चाहिए, और काम की प्राथमिकता को तय करना चाहिए। अगर आपको वक्त की कमी महसूस होती है, तो आपको नए काम को स्थानांतरित करने से इंकार करना चाहिए। आपको ध्यान देना चाहिए कि स्ट्रेस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास करें।

क्या नींद और हार्ट अटैक का आपस में है कनेक्शन ?

नींद और हार्ट अटैक के बीच गहरा संबंध हो सकता है। कई युवा विदेशों में अपने क्लाइंट के साथ काम करते हैं, जिससे उनका सोने और जागने का पैटर्न बिगड़ जाता है। इसके अलावा, ऑटीटी प्लेटफार्म पर नई फिल्मों और सीरीज के आगमन ने भी सोने की आदतों को प्रभावित किया है। लोग बिना बाधा के लंबे समय तक सीरीज देखते रहते हैं, जिससे उनकी नींद पर असर पड़ता है।

इस तरह की आदतें सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। नींद की कमी से हार्मोन असंतुलन होता है, जिससे मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हाल ही में एक शोध में पता चला है कि रात में 6 घंटे से कम सोने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 20% अधिक होता है।

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आप क्या खा रहे हैं इस पर भी रखें नज़र

आपकी तरह, ऑनलाइन फ़ूड ऑर्डर करना भी आजकल बहुत प्रचलित है। युवा लोग सोचते हैं कि इससे समय बचत होती है और घर के बोरिंग खाने से छुटकारा मिलता है। टीवी और सोशल मीडिया पर कई सेलेब्रिटी द्वारा सॉफ़्ट ड्रिंक्स और फास्ट फ़ूड के विज्ञापन इस आदत को और बढ़ावा देते हैं।

लेकिन सच्चाई यह है कि इन फ़ास्ट फ़ूड और पैकेज्ड ड्रिंक्स में अधिक मात्रा में रिफाइंड आटा, शुगर, नमक और प्रेजर्वेटिव्स होते हैं। इन्हें अधिक से अधिक सेवन करने से आप दिल की बीमारियों का सामना कर सकते हैं।

भारतीय पारंपरिक खानपान में विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी होती है, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, आपको अपनी डाइट में मछली, अखरोट, अलसी के बीज और हरी सब्जियों जैसी ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए। विटामिन डी के लिए, आप रोजाना कुछ देर धूप में टहल सकते हैं और विटामिन डी सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

एक्सरसाइज : ना कम करें ना बहुत ज्यादा करें

यदि आप दिन भर घर में या ऑफिस में एक ही जगह बैठे रहते हैं, तो इससे आपकी दिल की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, आपको नियमित अंतराल पर थोड़ी चलने-फिरने की आदत डालनी चाहिए। जैसे कि, यदि आप ऑफिस में हैं और किसी से फोन पर बात करनी है, तो आप टहल सकते हैं और बातें कर सकते हैं। वैसे ही, लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।

यह सही है कि नियमित व्यायाम करना दिल की सेहत के लिए लाभकारी होता है, लेकिन अत्यधिक व्यायाम करने से आपके दिल को नुकसान पहुंच सकता है, विशेष रूप से जो लोग पहले से ही हार्ट संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हों। इसलिए, जब भी आप हेवी वर्कआउट शुरू करने का विचार करें, तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें और उनकी सलाह के अनुसार ही कार्रवाई करें।

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अगर आपके परिवार में पहले से ही दिल के मरीज हैं तो क्या करें?

आपके परिवार में दिल के मरीज होने की स्थिति में, आपको अपनी सेहत की देखभाल को गंभीरता से लेना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण उपायों को ध्यान में रखकर आप अपने दिल के स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं:

इन उपायों को अपनाकर और नियमित चेकअप के माध्यम से आप अपने दिल के स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और अपनी सेहत को सावधानी से निगरानी कर सकते हैं।

कब जाएं डॉक्टर के पास

आपके द्वारा उल्लिखित लक्षणों के आधार पर, हार्ट अटैक के संभावित लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यदि आपको इन लक्षणों में से कोई भी अनुभव हो रहा है, तो आपको तत्काल चिकित्सक सलाह लेनी चाहिए:

इन संकेतों का सामना करते समय आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि इससे समय रहते उपचार की संभावना बढ़ जाती है और हार्ट अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है। आपके परिवार में हार्ट की बीमारी के मरीज होने के कारण, आपको अपने स्वास्थ्य को लेकर अत्यंत सतर्क रहना चाहिए और लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।