प्रेग्नेंसी में थायराइड का खतरनाक असर: जानें लक्षण और बचाव
Monday, 20 Nov 2023 18:00 pm

Health7

प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉयड के नुकसान: गर्भावस्था एक खुशियों भरा समय हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही कई कठिनाइयाँ भी हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इनमें से एक समस्या है थायरॉयड की कमी या बढ़ाव। हार्मोनल बदलावों के कारण कई महिलाओं को गर्भावस्था में थायरॉयड समस्या हो सकती है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

थायरॉयड हमारे गले में एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो थायरॉक्सिन हार्मोन उत्पन्न करती है, जो शरीर के एनर्जी और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। जब इस ग्रंथि में कोई समस्या होती है, तो थायरॉयड रोग हो जाता है। इससे गर्भावस्था में समस्याएं आ सकती हैं।

कुछ महिलाएं थायरॉयड से पीड़ित होती हैं, जिन्हें इस समस्या के लक्षण होते हैं। इसलिए, गर्भावस्था में इस समस्या को सही ढंग से संभालना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

प्रेग्नेंसी में थायरॉयड के नुकसान

गर्भावस्था में अधिक थायरॉयड हार्मोन की मात्रा, महिला और शिशु के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है। कुछ मामलों में, हाइपरथायरॉयडिज़्म से पीड़ित महिलाओं को उल्टियां या जी मिचलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। थायरॉयड की समस्याओं से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है, जिससे बच्चा असमान्य भी हो सकता है। इसलिए, इस समस्या का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

प्रेग्नेंसी में थायरॉयड बढ़ने के लक्षण

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दो प्रकार के थायरॉयड समस्याएं हो सकती हैं। पहला होता है हाइपोथायरॉयडिज़्म, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि अनुपात से कम थायरॉयड हार्मोन उत्पन्न करती है। इस समस्या में, वजन में बढ़ोत्तरी, अत्यधिक थकान, कब्ज, ठंड लगना, मांसपेशियों में ऐंठन और ध्यान में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

प्रेग्नेंसी में थायरॉयड कंट्रोल करने के उपाय

गर्भावस्था में थायरॉयड को नियंत्रित रखने के लिए आपको अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, नियमित व्यायाम और योग से थायरॉयड को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर की सलाह पर नियमित दवाओं का सेवन करना भी फायदेमंद हो सकता है। गर्भावस्था में थायरॉयड स्तर को नियंत्रित करने के लिए तनाव, जंक फूड, और अधिक शुगर युक्त आहार से बचें। साथ ही, नियमित अंतराल पर डॉक्टर से संपर्क करके अपनी जांच करवाएं।